Friday 23 October 2015

मैं भी मोदी जी के खिलाफ एक केस दर्ज करवा ही दूं

सोच रहा हूं कि बहती गंगा में हाथ धोते हुए मोदी जी के खिलाफ मैं भी एक केस दर्ज करवा ही दूं।
दरअसल, आज टीवी के एक विज्ञापन पर अचानक मेरी नजर गई। एक खास चाय कंपनी के इस विज्ञापन में अपने बुजुर्ग सहित बैठा अल्‍पसंख्‍यक समुदाय का एक बच्‍चा चाय को देखकर पूछता है कि क्‍या ये चाय सिर्फ उस्‍तादों के लिए है?
इसी दौरान चाय के दामों में कमी को दर्शाते हुए चाय पेश करने वाला कहता है कि नहीं…यह चाय सबके लिए है।
सवाल करने वाले बच्‍चे के हाथ में वह कांच का सस्‍ता सा ढाबे पर मिलने वाला चाय से भरा गिलास थमा देता है।
मेरी दृष्‍टि से यह मोदी राज में गरीबों का इरादतन किया गया अपमान है और वो भी एक वर्ग विशेष के लोगों को टारगेट करके किया गया है। मुझे इसमें संघ के एजेंडे की बू आती है।
मन कर रहा है कि पहले तो कांग्रेस के चिर युवा राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी जी को मोदी सरकार की इस हरकत तथा आरएसएस की मंशा से अवगत करा दूं ताकि वह समय रहते विज्ञापन में दर्शाए गए अल्‍पसंख्‍यक बंधुओं के घर जाकर उन्‍हें सांत्‍वना दे सकें और फिर किसी कोर्ट में याचिका दाखिल करके तत्‍काल मोदी सरकार के खिलाफ सख्‍त कार्यवाही कराने में लग जाऊं।
कुछ अक्‍ल से पैदल लोग इस आशय का सवाल खड़ा कर सकते हैं कि एक प्राइवेट कंपनी की चाय के विज्ञापन से मोदी जी या उनकी सरकार का क्‍या लेना-देना।
मेरा ऐसे सभी कालीदासों को एक ही जवाब है कि देश के एक अदद प्रधानमंत्री चूंकि मोदी जी हैं इसलिए मामला किसी प्राइवेट कंपनी की चाय का हो या उसमें मिले दूध को देने वाली भैंस का, जिम्‍मेदार तो मोदी जी ही हैं क्‍योंकि मोदी जी इस देश के सवा सौ करोड़ लोगों सहित उन जीव-जंतुओं के भी प्रधानमंत्री हैं जिन्‍हें बिना किसी कागजात के भारतीय होने का जन्‍मसिद्ध अधिकार प्राप्‍त है।
ऐसे में चाय कंपनी और उसके द्वारा दिए गए विज्ञापन के लिए मोदी जी की सीधी जिम्‍मेदारी बनती है क्‍योंकि प्रश्‍न किसी निजी या सरकारी कंपनी का नहीं है, प्रश्‍न प्रधानमंत्री होने का है। इन हालातों में मोदी जी पर मेरे द्वारा मुकद्दमा दर्ज कराना बनता है।
इसी तरह कुछ सिरफिरे लोग कहते हैं कि दादरी की घटना से मोदी जी की सरकार का क्‍या वास्‍ता।
मैं पूछना चाहता हूं कि दादरी किस प्रदेश में है….उत्‍तर प्रदेश में ना। और उत्‍तर प्रदेश किस देश में है…भारत में ना। भारत के प्रधानमंत्री कौन हैं…मोदी जी ना।
अब आप ही बताइए कि उत्‍तर प्रदेश का दादरी की घटना से कोई मतलब रह जाता है क्‍या। सारा मतलब तो मोदी जी का ही है।
सही कहते हैं यूपी के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव कि उत्‍तर प्रदेश को बीच में घसीटना विरोधियों की साजिश का हिस्‍सा है।
अखिलेश की इस बात में भी दम है कि उत्‍तर प्रदेश ने उनके राज में जितना विकास किया है, उतना तो आज तक किसी राज में हुआ ही नहीं लिहाजा जल-भुनकर कुछ शरारती तत्‍व (जस्‍ट लाइक मोदी जी) उनकी सरकार को लॉ एंड ऑर्डर के नाम पर बदनाम कर रहे हैं।
इतिहास ही नहीं, मैं भी गवाह हूं कि अखिलेश के राज में उत्‍तर प्रदेश ने जो मुकाम हासिल किया है, वह न तो कोई आज तक कर पाया और न भविष्‍य में किसी के द्वारा कर पाने की उम्‍मीद है।
पूरा समाजवादी कुनबा जिसमें मात्र डेढ़ दर्जन लोग हैं, उत्‍तर प्रदेश के उत्‍तरोत्‍तर विकास में सतत् प्रयत्‍नशील हैं। है कोई माई का लाल जिसके परिवार से पूरे 18 लोग अपने प्रदेश की सेवा कर रहे हों।
प्रदेश तो छोड़िए देश में ही बता दीजिए।
मोदी जी से तो इसका जिक्र तक करना बेकार है। जो अपनी एक अदद बीबी को छोड़कर राजनीति करने चले आए वो क्‍या समझेंगे कि मुलायम के समाजवाद में बहुविवाह केवल किया ही इसलिए जाता है जिससे भरे-पूरे परिवार के साथ प्रदेश और संभव हो तो देश सेवा की जा सके।
मैं यहां स्‍पष्‍ट कर देना चाहता हूं कि समाजवादियों द्वारा की जा रही देश की सेवा में मोदी जी का कोई हाथ नहीं है। हालांकि समाजवादी कुनबे को लेकर मोदी जी के मुलायम रवैये पर कुछ विरोधी शंका करते हैं परंतु उनकी शंका निराधार है। मोदी जी उत्‍तर प्रदेश की कानून-व्‍यवस्‍था के लिए जिम्‍मेदार हैं और रहेंगे परंतु उत्‍तर प्रदेश की सरकार चलाने वाले समाजवादी कुनबे के निजी कामकाज में उनका कोई हस्‍तक्षेप नहीं है। इसकी पुष्‍टि संभवत: मुलायम सिंह और अखिलेश यादव भी कर देंगे।
इधर दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री माननीय श्री अरविंद केजरीवाल को दिल्‍ली की पुलिस अपने अधीन चाहिए। पुलिस न हुई शोले का ठाकुर हो गया जिससे गब्‍बर कहता है- ये हाथ मुझे दे दे ठाकुर…ये हाथ मुझे दे दे।
केजरीवाल की मानें तो पुलिस मिलते ही वह पूरी दिल्‍ली को सुधार कर रख देंगे।
केजरीवाल ने दबी जुबान से कहा भी है कि मोदी कितनी ही विदेश यात्राएं कर लें, लौटना तो दिल्‍ली ही होता है। एकबार पुलिस मेरे हाथ आ गई तो मोदी जी मेरे हाथ अपने आप आ जायेंगे।
केजरीवाल के अनुसार वह शीला दीक्षित नहीं हैं जो चुप होकर बैठ जायेंगे। वह मोदी जी को तब तक चैन से नहीं सोने देंगे जब तक दिल्‍ली पुलिस उन्‍हें नहीं सौंप दी जाती।
केजरीवाल जी को कौन समझाए कि दिल्‍ली पुलिस मिल गई उन्‍हें तो कानून-व्‍यवस्‍था की बदहाली का ठीकरा किसके सिर फोड़ेंगे। हालांकि वह भी अपने सारे व्‍यक्‍तिगत और सरकारी कार्यों के लिए मोदी जी को ही जिम्‍मेदार ठहराते हैं।
मेरे जैसे किसी सलाहकार की बात मानी होती केजरीवाल जी, तो जितेन्‍द्र तोमर की फर्जी डिग्री से लेकर सोमनाथ भारती तक पर दर्ज मामलों के लिए मोदी को जिम्‍मेदार ठहराया जा सकता था।
जितेन्‍द्र तोमर की डिग्री कहीं से बनी हो, है तो वह भारत का ही हिस्‍सा। और भारत के किसी कोने में कुछ हो, मोदी जी जिम्‍मेदार होंगे ही।
सोमनाथ भारती की बीबी अपने ही घर में सुरक्षित नहीं है, सोमनाथ उसे रोज पीटते थे। मोदी जी क्‍या कर रहे थे। दिल्‍ली पुलिस मोदी जी की, दिल्‍ली मोदी जी की…तो दिल्‍ली में रह रही अबला नारी की सुरक्षा का जिम्‍मा मोदी जी का नहीं था क्‍या।
मोदी जी को तभी इस्‍तीफा सौंप कर केजरीवाल की शरण में आ जाना चाहिए था जब पता लगा कि सोमनाथ अपनी बीबी लिपिका मित्रा को पीटा करते थे और उसने उनके खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज करा दिया है।
ऐसे में बहिन मायावती की भी बात को दरकिनार नहीं किया जा सकता। उनका सही कहना है कि दलितों की कुत्‍ते से तथाकथित तुलना करने पर अपने मंत्री को या तो तुरंत बर्खास्‍त करके जेल में डलवाएं या मान लें कि वो दलित विरोधी हैं।
जैसे आज तक बहिन जी ने उन्‍हें दलितों के हिमायती होने का तमगा दे रखा था।
बहिन जी! पूरा देश जानता है कि जिस तरह प्रदेश रहित इस देश के हर हिस्‍से में घटने वाली घटना के लिए सिर्फ और सिर्फ मोदी जी जिम्‍मेदार हैं, उसी तरह बिना किसी सीमा रेखा के देशभर के दलितों की आप इकलौती बहिन हैं। दलित कहीं का हो, लेकिन राखी बंधवाने वह आपके पास ही आता है।
आप अपने किसी भाई का अपमान कैसे सह सकती हैं, सहना भी नहीं चाहिए। मोदी जी के मंत्री की इतनी हिमाकत हुई कैसे…इसकी सीबीआई जांच लाजिमी है। और हां…जांच होती रहेगी लेकिन पहले मोदी जी वीके सिंह को बर्खास्‍त करके तिहाड़ भेजें।
मोदी जी ऐसा नहीं करते तो यह भी स्‍वत: सिद्ध हो जाता है कि वीके सिंह ने जो कुछ कहा, वह सब मोदी जी के इशारे पर कहा इसलिए अगली प्रेस कॉफ्रेंस में हम कुत्‍ते वाली बात के लिए मोदी जी को जिम्‍मेदार मानते हुए उनकी बर्खास्‍ती की मांग करेंगे और संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ से अपील करेंगे वह उन्‍हें जेल भेजे।
संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ पर याद आया कि बेचारे आजम खान जी भी देश में आपातकाल लागू करने की फरियाद राष्‍ट्रपति से कर चुके हैं। उन्‍हें पूरा देश ही खतरे में दिखाई दे रहा है।
मैंने सुना है कि जब से यूपी पुलिस ने उनकी चोरी हुई भैंसें बरामद करके दी हैं, तब से आजम खान उत्‍तर प्रदेश को संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ और चचा मुलायम सिंह को बान की मून समझने लगे हैं।
पता नहीं यह उनके दिमाग का कोई फितूर है या ओवैसी तथा जामा मस्‍जिद के शाही इमाम की बातों का असर कि वह अब संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ से नीचे बात ही नहीं करते।
मुलायम सिंह और अमर सिंह की मुलाकात पर आपत्‍ति जताते हुए भी उन्‍होंने यही कहा था कि वो इस मामले को संयुक्‍त राष्‍ट्र तक ले जायेंगे। देश का मुसलमान यहां सुरक्षित नहीं है। मोदी जी के इशारे पर मुलायम सिंह और अमर सिंह की मीटिंग फिक्‍स की जा रही है। नेताजी (मुलायम सिंह जी) को यादव सिंह मामले में सीबीआई का डर दिखाकर अमर सिंह के गले में हाथ डालने पर मजबूर कर रहे हैं देश के बादशाह मोदी जी। लेकिन मैं चुप होकर सहने वालों में से नहीं हूं। वह चाहें तो मेरी भैंस फिर खुलवा लें, चाहें तो ओवैसी और अमर को मेरे खिलाफ खड़ा कर दें लेकिन मैं किसी से डरने वाला नहीं। मैं देश के सबसे बड़े सूबे का सर्वाधिक प्रभावशाली मंत्री हूं। मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
जनाब आजम खां साहब सच कह रहे हैं। उनका कोई कुछ बिगाड़ सकता तो वह बेलगाम कैसे होते। इसके लिए भी मोदी जी जिम्‍मेदार हैं।
बहरहाल, मोदी जी का चाय से बहुत गहरा नाता है और इसलिए चाय के विज्ञापन में गरीब अल्‍पसंख्‍यकों का उड़ाया गया मजाक मुझे कतई बर्दाश्‍त नहीं हुआ लिहाजा मैं मोदी जी को उसके लिए तहेदिल से जिम्‍मेदार मानते हुए एक अदद केस दर्ज कराने जा रहा हूं।
आप के पास कोई ऐसा मामला मोदी जी के खिलाफ हो तो आप भी लग लीजिए मेरे साथ। पता नहीं आगे कभी ऐसा सुअवसर हाथ आया कि नहीं आया।
-यायावर